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फेब्रुवारी, २०२१ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

मिलना कभी फुर्सत से दिल की हर शिकायत भुलाकर...

मिलना कभी फुर्सत से किसी अजनबी की तरह, ना किसी उम्मीद से और ना ही किसी नाराजगी को दिल में रखकर.. । पुरी करेंगे वो बातें जो अधुरी रह गयी, बिना किसी ख्वाहिश को दिल में जगाएं रखकर.. । मिलना कभी कुछ पलों के लिए दिल से हर शिकायत भुलाकर, खुलकर वो बातें करेंगे जो अनकही रह गयी...। कहते हैं, अधुरी कहानियां बोहोत सारे रास्ते खोल देती है उन्हें पुरी करने के लिए.., पर कोई बताता नहीं की कुछ कहानियां हसना भुला देती है खुद पुरा होते होते..। इसलिए गुजारिश है तुमसे, मिलना कभी फुर्सत में फिर एक बार अजनबी बनकर - मिलकर उन छुटी हुई अधुरी बातो को पूरा करने के लिए, उन अधुरी कहानियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए..। मिलना कभी फुर्सत से किसी अजनबी की तरह दिल की हर शिकायत भुलाकर..!

आई

शब्दांत नाही, स्वरात अशी ती माझ्या वसे.. कधी सांगती मारूनी मुटकुनि - कधि नाटकी रूसुनी बसे... येता अश्रु डोळ्यामध्ये आधि माझे मग तिचे पुसे.... उभी पठिशी सदैव माझ्या, मोल कसे ना माझे चढे? आहे सर्वस्व ती माझे मग काय मागु मी तिच्या पुढे.... शब्दांमध्ये नाही, स्वरात अशी ती माझ्या वसे...